हे पंचतत्व तुमने अभी जिया ही कहाँ है, अमूल्य जीवन का रस पिया ही कहाँ है? हे पंचतत्व तुमने अभी जिया ही कहाँ है, अमूल्य जीवन का रस पिया ही कहाँ है?
रूप पर जाने वाले बाहरी सुंदरता की ओर आकर्षित हो जाते हैं, रूप पर जाने वाले बाहरी सुंदरता की ओर आकर्षित हो जाते हैं,
सूरज की किरणों ने निशा के तम को दूर किया रात्रि कितनी भी लंबी हो ढल जाती है सूरज की किरणों ने निशा के तम को दूर किया रात्रि कितनी भी लंबी हो ढल जात...
गीत, कथा, मिथक, संगीत परम्पराओं की है अनुगूँज गीत, कथा, मिथक, संगीत परम्पराओं की है अनुगूँज
भोर की किरण। चहचहाहट गूंजित भरी, पल्लवित पुष्प नगरी, रंगबिरंगी सुगंध करती।। भोर की किरण। चहचहाहट गूंजित भरी, पल्लवित पुष्प नगरी, रंगबिरंगी सुगंध कर...
तो कविता क्या है ? मेरे जीने का आइना। तो कविता क्या है ? मेरे जीने का आइना।